*Guru Gyan:* _(Shiv Sutra_4.3)_शरीर को देखते जाओ। उसके आगे चलके मन को भी दृश्य बनाओ। आपने इसके पहले जो जो सोचा था वह सब निकल गया है। आप अपने खयाल को देखोगे तो आप अचंबित हो जाओगे। विचार बदलते रहते है, विचार की भी लहर चलती है। विचार के साथ तादात्म्य मत बनो....विचार के साथ भी साक्षी बन जाओ। स्थान और परिस्थिति अनुसार विचार भी बदलते रहते है। विचारों का अपना एक आयाम है....विचारों को, भाव को भी दृश्य बनाओ...उसके बाद दृष्टा कौन है यह अपने आप नजर आयेगा। दूसरा अर्थ है....जो भी आप बाहर देखते हो ...वह भी तुम्हारा शरीर है....हवा, सूरज, धरती....आपका शरीर का विस्तार सूरज, पृथ्वी, विश्व के साथ है। विश्व का अर्थ है...जो हमेशा के लिए है, जो बीत नहीं गया, जो कल आनेवाला है...वह अभी है। कार से प्रवास करते समय आपको थोड़ा थोड़ा रस्ता दिखता है...मगर आप विमान से देखोगे तो पूरा रास्ता दिखेगा। आज जो आप सितारों से आनेवाली किरण देखते हो ....वह बहोत पहले निकला हुवा है। विशेष रुप से जो है वह विश्व है। दृश्यं शरीरम्...जो भी आप देखते हो वह आप का ही शरीर हो गया। जैसे आप अपने शरीर को देखते हो वैसे इस संसार का भी कदर करो। हर हर हर जगदीश्वरःय देव, परमेश्वराय।
Shiv Sutra_4.3_ Go looking at the body. Make the mind as scene by walking ahead of it. Everything you thought about it before has gone out. If you see your thoughts you will be shocked. Thoughts keep on changing, there is also a wave of thoughts. Do not be identified with the idea .... become a witness with the thought. Thoughts also change according to the location and situation. Thoughts have a dimension of their own… Make thoughts, expressions also as scene… After that, who is the Seear, it will automatically be seen. The second meaning is .... whatever you see outside ... that is also your body .... air, sun, earth .... your body is expanded with sun, earth, world. The meaning of the Vishwa is ... that which is forever, that has not passed, which is going to come tomorrow ... that is now. While traveling by car, you see a little path… but if you look from the plane, the whole road will be seen. Today, you see the rays coming from the stars .... That has come out many times before. What is special is the Vishwa. Drishya Sharirm ... Whatever you see has become your body. Appreciate this world as you see is your body. Har har har jagadishvara: Dev, Parameshwarai.