*Guru Gyan:* _(Shiv Sutra_4.4)_ जिस तरह तुम तुम्हारा शरीर की कद्र करते हो वैसे ही प्रकृति के साथ रहो। सारा प्रकृति तुम्हारा शरीर है...सब्जी, अनाज, पानी तुम्हारा शरीर बननेवाला है। दृश्य जगत तुम्हारा शरीर है। शरीर और जगत में भेद न करो। अगला सूत्र है...हृदये चित्तसंघट्टाद् दृश्यस्वापदर्शनम्....अपना मन को, चित्त को दिल में डुबाओ...तब ये दृश्य अपना ही लगना लगेगा। किसी चीज को देखना हो तो दो ढंग से होता है....दिल से देखना या दिमाग से देखना। उदाहरण... चाँद को दिल से देखे तो चाँद मामा हो सकता है....और वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो एक मिट्टी का समूह, ग्रह है। गंगा को गंगाजी, गंगामैया की तरह देख सकते हो या सिर्फ पानी है ऐसा भी देख सकते हो। चित्त को हृदय में रखने से दॄश्य अपना ही लगता है। दुनिया मे इस बात की कमी है....दुनिया को दिल से नहीं देखते है....दिमाग से ही देखते है....तभी भाव सूख जाता है... जहाँ भाव सूख जाता उस समाज मे हिंसा, अशांति बढ़ जाएगा। किसी भी पशु को तुम अगर दिल से देखोगे तो वह जीता जागता भगवान ही नजर आएगा। जो मैं हूँ तो ये है यह समझ आएगा। हॄदय मे चित्त को रखना ये ध्यान को प्रक्रिया है।
Shiva Sutra_4.4_ Just as you value your body.. have value with nature. The whole nature is your body ... Vegetables, grains, water are going to be your body. The visible world is your body. Do not distinguish between your body and nature. The next sutra is… Hridaye chittasanghatad darshanaswapadarshanam… Immerse your mind, in your heart… Then this scene will begin to feel its own. If you want to see something, there are two ways .... to see with the heart or to see with the mind. Example… If we see the moon from the heart, then the moon can be an Mama… and from a scientific point of view, there is a planetary group of soil. You can see the Ganges like Gangaji or you can see that there is only water. By keeping the mind in the heart, the world feels its own.This thing is lacking in the world .... We do not see the world with heart .... we see it with the mind .... that's why the emotion dries up ... violence, unrest increases in the society where the emotion dries up. If you see any animal from the heart, then it will be seen as a living God. I will understand what I am. Keeping the mind in the heart is the process of meditation.