*Guru Gyan:* _(Shiv Sutra_6.6)_ ध्यानं निर्विषये मनः... मन में कोई विचार ना हो, कोई विषय ना हो...यही ध्यान है। पाँच विषय होते है... रूप, रस, गंध, स्पर्श, शब्द। मन किसी ना किसी विषय पर उलझ रहता है। ध्यान के शुरू य्या अंत मे सूक्ष्म रूप से आपको कुछ सुनाई देगा, कुछ गंध आ सकता है, कुछ प्रकाश दिखाई दे सकता है....यह ध्यान की शुरू की या आखिरी अवस्था है...ध्यान इस सबसे परे है। ये मन को बिठाने का बड़ा कोमल तरीका है। ऐसा ध्यान करने बाद ही शांत मन से मंत्र जाप करते है....तब उसके सामर्थ्य का अनुभव होता है। एक एक मंत्र में कुछ ताकद है शक्ति है। एक परमाणु का स्फोट होता है तब लाखों मिल उसका असर होता है....मन उस परमाणु से हजार गुणा सूक्ष्म है...और वह मन जब शांत होता तब उसमें बहोत ताकद होता है। उस मन को जब बार अपने भीतर एक तरीके से घुमाते है उसे ही मंत्र कहते है....मन की शक्ति ही मंत्र है। शांत मन की शक्ति ऐसा मंत्र बनता है। वही ओम नमःशिवाय होगा...पर जिस तरीके से वो लेते है, परंपरा से लेते है, गुरु से लेते है....तब वह मंत्र बनता है। सोहम का भी ऐसा ही है... जब आप उसे ढंग से करते है....तब उसका शक्ति का अनुभव होता है। गुरु कॄपा करो। _
Shiv Sutra_6.6_ Dhyanam Nirvishaye Manah ... There should be no thought in the mind, there should be no subject ... This is meditation. There are five subjects… See, taste, smell, touch, words. The mind gets entangled on some subject. At the beginning or end of meditation, you will hear something subtle, you may smell something, some light can be seen .... This is the beginning or the last stage of meditation ... Meditation is beyond this. This is a very gentle way to make the mind calm. Only after doing this meditation do chanting of mantra with a calm mind… .then its power is felt. There is some strength in a mantra. When an atom explodes, it has an effect millions of times ... the mind is a thousand times more subtle than that atom ... and when that mind is calm then there is a lot of strength in it. When the mind is rotated in a manner within itself, it is called a mantra… the power of the mind is the mantra. The power of a calm mind becomes such a mantra. The same will be Om Namah Shivayya… but the way in which they take, they take from tradition, they take from the Guru… .then it becomes a mantra. The same is also with Soham ... when you do it in the manner .... then you feel its power. Guru Krupa Karo.