*Guru Gyan:* _(Shiv Sutra_5.2)_ अगला सूत्र है वितर्क आत्मज्ञानम्। तर्क, वितर्क और कुतर्क। तर्क से विज्ञान बढ़ा है, तर्क नहीं होता तो विज्ञान नही होता। विज्ञान का आधार तर्क है...जैसे तर्क बदलता है वैसे भी विज्ञान बदलता है। कुतर्क से अज्ञान ही बढ़ता है। वाणी से, विचार से जीत होती है पर वह वास्तव में नहीं होता है....उसे कुतर्क कहते है। लगे ऐसा की आप जीत गए पर वास्तव मे जीते नहीं है ....यह कुतर्क का लक्षण है। तर्क से जीत गए, वादविवाद मे जीत गए मगर वह सत्य के विरोध मे है यह है कुतर्क। कुतर्क से अज्ञान, दुःख, दर्द, पीड़ा होता है, समाज मे हिंसा बढ़ती है। आदमी कब तर्क से कुतर्क मे उतर आता है यह समझता नहीं है....यह जान लेना ही बुद्धिमानी है। तर्क महत्वपूर्ण है, मगर अटल नहीं है, हमेशा वैसा ही नहीं रहता....बदलता रहता है....रासायनिक खाद और किटकनाशक का उदाहरण। एलोपेथी और आयुर्वेद उपचार का उदाहरण। तर्क से विज्ञान, कुतर्क से अज्ञान और वितर्क से आत्मज्ञान।
Shiva Sutra_5.2_ The next sutra is Vitarka Atmgyan. Logic, argument and sophistry are three types. Science has progressed through logic, if there is no logic, there is no science. The basis of science is logic ... Just as logic is turn, so is science. Ignorance arises out of sophistry. By speech, thought you win but it does not actually happen… It is called kutarka. Looks like you have won but not really won… This is a symptom of sophistry. Win by logic, win in debate, but he is against truth, this is sophistry. Ignorance leads to ignorance, sorrow, pain, suffering, violence increases in society. It does not make sense when a man gets into a quirk with logic…. It is wise to know this. Reasoning is important, but not irrevocable, does not always remain the same .... varies .... example of chemical fertilizers and insecticides. Example of allopathy and Ayurveda treatment. Science from logic, ignorance from sophistry and enlightenment from Vitark.