*Guru Gyan:* _(Shiv Sutra_6.2)_ पंचभूतों का मिलने का बिछड़ने का प्रक्रिया है जन्म और मरण। लाखों अरबों करोड़ो कणों से हमारा शरीर बना है और जिस दिन हमारे शरीर के कण अलग होना चाहेंगे तब शरीर समाप्त हो जाएगा। प्रेम इस सृष्टि के कण कण मे व्याप्त है ...वही एक तत्व है जो सब को पकड़ के रखा है और वही एक तत्व है सबको अलग अलग करता है। जब हवाई जहाज से या दूर से जब समुंदर को देखते है तब लहर का पता नहीं चलता है ....पर जब पास आकर देखते हो तब लगता है कि यहाँ एक नही, यहाँ अनेको लहरे है और वह बार बार उठते रहते है। इसी तरह से सृष्टि को भी देखो....भूत के पृथक और संयोजन से सृष्टि बनी है...इसका कोई बनानेवाला नही है। ऐसा नहीं कि किसी ने सृष्टि बनाया और कई जाके बैठ गया। नदी को अगर आप देखोगे तो प्रवाह दिखता है पर एक और दृष्टि से देखोगे तो वह एक वृत्त है... नदी सागर का अंग है, सागर अंग बादल और बादल का अंग है नदी। एक पंखा देखोगे तो एक चक्र नजर आएगा। इसी तरह इस सृष्टि को भी देखोगे तो आपको समझ आएगा कि इस सृष्टि को किसी ने बनाया नही...ये अपने आप मे लहर उठ रही है और गिर रही है। यह अपने आपमें होनेवाली चीज है...इसको जैन धर्म मे कर्म बोला गया है...कर्म के अनुसार सब चीजें चल रही है। इसी को गुरुनानक देव ने हुकुम बताया। हुकुम से सबकुछ चल रहा है...महावीर ने इसी हुकुम को कर्म बताया, नियति बताया। भगवान सब जगह मौजूद है तब वह सृष्टि से अलग नही हो सकता है। जैसे कुंभार मटका बनाता है...मिट्टी है परमात्मा और मटका है प्रपंच। मिट्टी और परमात्मा दूर नही हुए ...इसके कण कण में परमात्मा समाए हुए है। पंचभूतों से सृष्टि बनी हुई है और इसके बीच मे जो शक्ति है चैतन्य है वह है परमात्मा। इसलिए भगवान को उपादानकार बताया...उपादानकार मतलब मिट्टी ही अपने आप मटका बन गया, समुद्र का पानी अपने आप लहर बना... इसी तरह पंचभूतों से अपने आप सृष्टि बनी और सृष्टिकर्ता इससे अलग नहीं है। भगवान से ही दुनिया बनी है... इसको विज्ञान भी समर्थन करता है। _
Shiva Sutra_6.2_ The process of combination and separation of Panchabhutas is birth and death. Our body is made up of millions and billions of particles and by the time our body particles separate, the body will be finished. Love permeates every particle of this universe… it is the one element that holds everyone and the same element separates everyone. When we look at the sea from an airplane or from far away, the wave is not known… but when you come and look, then it seems that there is not one here, there are many waves here and they keep getting up. In the same way, look at the universe…. The creation of the universe is made by the separation and combination of elements… There is no one to create it. It is not that someone created the universe and sat somewhere. If you look at the river, you see the flow, but if you look at it from another point of view, it is a circle ... The river is a part of the ocean, the ocean is a cloud and the cloud is a river. If you see a fan, you will see a circle. In the same way, if you see this world too, then you will understand that no one has created this creation… It is a rising and falling wave in itself. This is a thing to happen in itself ... It has been called karma in Jainism ... Everything is going on according to karma. This is said by Guru Nanak Dev as Hukum. Everything is going on with Hukum ... Mahavir called this karma, he called it destiny. God is present everywhere, then he cannot be separate from creation. Just like Kumbhar makes Matka… clay is divine and Matka is prapancha. The soil and the divine have not gone away ... God is contained in every particle of it. The world is made up of five elements and the power that is in the middle of it is the divine. That is why God called as a benevolent ... Gratitude means that the soil itself became a matka, the water of the sea itself created a wave ... Likewise the creation of Panchbhutas created by itself and the Creator is no different from it. The world is made by God itself… Science also supports it.