*Guru Gyan:* _(Shiv Sutra_6.3)_ शुद्धविद्योदयाच्चक्रेशत्व सिद्धिः। शुद्ध का मतलब है एक दूसरे मे मिला हुवा। परायापन का अर्थ है अशुद्धि। परायापन जब मिट जाता है शुध्द चक्र के अनुसंधान से दुनिया बना है, बुद्धि तेज होता है। मंद बुद्धि वाला व्यक्ति दुःखी रहता है। दुःख, क्रोध, लोभ बुद्धि की कमी से होता है। बुद्धि का यही है कि जीवन को विशाल दृष्टिकोण से देखे, मेरा आदि क्या है ? अंत क्या है? इसपर विचार करना । मनुष्य और पशु पक्षी मे यही फर्क है...मनुष्य मे बुद्धि का विकास हुवा है, पशू पक्षी मे नही हुवा है। अशुद्ध बुद्धि का अर्थ है जो पूर्वाग्रह से वर्तमान को देखने लगे तो वह है अशुद्ध बुध्दि, जो जैसा है उसे वैसा नहीं देखने का अर्हता रखता है वह है अशुद्ध बुध्दि। शुद्ध बुध्दि का अर्थ है जो वर्तमान मे एक विशाल दृष्टिकोण के साथ सत्य को देखने की क्षमता रखता है वह है शुद्ध बुध्दि। शुद्ध बुद्धि जानती है कि क्या तर्क है, क्या वितर्क है और क्या कुतर्क है। शुद्ध बुद्धि भावुक होके परिस्थिति को नहीं परखती है पर वास्तव क्या है इसपर नजर डालती है। जब भावुक होके हम किसी भी व्यक्ति, वस्तु, परिस्थिति को देखते है तब हम अपना ही भाव को प्रक्षेपण कर लेंगे। वस्तुस्थिति के अनुसार हम देखेंगे और उसमें सुब्जेक्टिविटी ना के बराबर हो ऐसे दृष्टि को शुध्द दृष्टि कहते है। शुध्द बुद्धि का विस्तार है शुद्ध दृष्टि। हर हर हर जगदीश्वराय देवा ...सर्वेश्वराय शिव शंकरा।
Shiv Sutra_6.3_ Shuddhvidyodayachakreshtva Siddhi. Shuddha means mixed into each other. Parayapan means impurity. When the world is created by the research of pure cycles, the intellect becomes sharp. A person with low intelligence remains unhappy. Grief, anger, greed comes from lack of intelligence. It is the wisdom of life to see life from a vast perspective, what is my beginning? What is the end? To think upon this. This is the difference between a human and animal and bird… Wisdom has evolved in humans, but no animal has been developed. Impure intelligence means that one who starts looking at the present with prejudice is an impure Buddhi, who qualifies not to see it as it is, an impure Buddhi. Pure Buddhi means the one who has the ability to see the truth with a wide vision in the present, that is pure Buddhi. The pure intellect knows what is logic, what is logic and what is sophistic. The pure intellect does not judge the situation by being emotional, but looks at what is really there. When we see any person, object, situation being emotional, then we will launch our own feeling into it. According to the situation, we will see and the subjectivity is not equal to it, such vision is called pure vision. Pure vision is pure vision. Har har har jagdishvaraya deva ... Sarveshvaraya Shiva Shankara.