*Guru Gyan:* _(Shiv Sutra_3.5)_ इच्छाशक्ति कभी भी अपना अंत को अपने लक्ष्य पर पहुँची ही नहीं। यही श्रेय है, नहीं तो वह शक्ति नहीं बनी रह सकती। गंगोत्री से निकलकर गंगा सागर को मिलने के बाद भी निरंतर बहती रहती है.…इसका मतलब है कि मिलन पूरा नही हुवा है। इच्छा कभी भी शिवतत्त्व से मिल नहीं सकती। आत्मतत्व मे जो पहुँच गया, आनंद मे जो पहुँच गया उसमें इच्छा नहीं रहती...औऱ इच्छा हो तो आनंद नहीं है। शिव तत्व आनंद है। तो लोग कहते है....इच्छा छोड़ दो। तो इच्छा छोड़ना नहीं है...इच्छा के साथ लड़ोगे तो आनंद नहीं पाओगे औऱ इच्छा में ही रहोगे तो उसे कभी प्राप्त नहीं कर पाओगे। तो उस इच्छाशक्ति को सम्मान करो...इससे जो जरूरत है वह मिल जाता है और जो जरूरत नहीं है वह छूट जाता है। शिव जी कई दूर नहीं है...पास मे ही है। इच्छापूर्ति मे औऱ इच्छा अभी पूरा नही, पूरा होने जैसा है...इसमें बहोत बड़ा फर्क है। किसी भी कामना पूरा होने के बाद आप उसी जगह पहुँच जाते हो, आप कामना उठने से पहले थे। एक इच्छा पूरी हुई, तो दूसरी, तीसरी उठती है...पूरा ही नही होती है....इसलिए कहते है... इच्छा शक्तिरुमा कुमारी। तुम्हारे भीतर इच्छाएं लहर जैसे उठती ही रहेगी...उसको भी देख लो, वह कुमारी ही रहेगी हमेशा के लिए। ऐसा नही है कि मेरी सारी इच्छाएं पूरी होने के बाद मैं तृप्त हूँगा....तृप्त होना हो तो अभी होना है....इच्छाएं के बावजूद। इच्छाओ के पीठ पर सवार होके तृप्ति पाने का दौड़ निर्रथक है, वह कभी नही होगा। मैं तृप्त हूँ, मेरा स्वभाव तृप्ति है ....ये जानना ही आत्मज्ञान है, यही योग है, यही समाधि है । मैं तृप्त हूँ, तृप्ति को कौन तृप्त कर सकता है।
Shiv Sutra_3.5_ Wish never reached its goal to its end. This is the essential, otherwise it cannot remain a power. Ganga flows out of Gangotri and flows continuously even after meeting Sea.… This means that the meeting is not complete. Desire can never be met with Shivatattva. What has reached self-realization, what has reached happiness, there is no desire… and if there is a desire, there is no pleasure. The Shiva element is Ananda. So people say… give up. So do not give up desire ... If you fight with the desire, you will not be able to enjoy it and if you remain in the desire, you will never be able to achieve it. So respect that Wish… then you will get what is needed and what is not needed will be left out. Lord Shiva is not far away… is nearby. In wish fulfillment and desire is not yet fulfilled, it is like completion… There is a huge difference in this. After completing any wish you reach the same place you were before you wished. If one wish is fulfilled, then the second, the third arises… it doesn't get fulfilled… that’s why it is said… Wish is Kumari. As the wave of desires within you will continue to rise… Look at that too, it will remain a virgin forever. It is not that after all my desires are fulfilled, I will be satisfied… if you want to be satisfied then you have to be satisfied now… despite all your wishes. The race to get fulfillment by riding on the back of wishes is fruitless, it will never happen. I am satisfied, my nature is content… Knowing this is enlightenment, this is yoga, this is samadhi. I am satisfied, who else will satisfy to the satisfaction.