*Guru Gyan:* _(Shiv Sutra_3.2)_ उद्यमो भैरवः। आपके द्वारा करानेवाली शक्ति भी वही है, करने की इच्छा आयी वह भी वही है, ना करने ईच्छा भी उसी शक्ति की है...इसी तरह से साक्षी बनकर के और लय हो कर के चैतन्य का विकास होता है। साक्षी और लय दोनों में विकास है। और साक्षी और लय के बीच मे उद्यम है, उसमे भी विकास है....यह जीवन की तीन धाराएं है....साक्षी, लय और उद्यम। उद्यम करो और जो कुछ भी करते हो उसमे 100 प्रतिशत लगाओ और सिद्धान्तों के उलझनों से पार हो जाओ। जिसके साथ तुम्हें लय होना हो तो उसके साथ विस्मय की, तड़प की जरूरत पड़ती है। इसमें मन रुकावट डालता है। मन रोज रोज नया चाहता है पर दिल की दौड़ पुराने की तरफ होती है। जो मन मे जीते है उन्हें नयी नयी चीजें लगती है। कभी किसी ने नए संबंधों पर गर्व प्रकट नही किया। दिल की दौड़ पुराने की ओर रहती है। जहाँ प्रेम जग गया वहाँ विस्मय रहता ही है। प्रेम का अंग है विस्मय। उदाहरण के तौर पर जिस घर मे नया बच्चा पैदा होता है वहाँ घर के बुजुर्ग उसके हर चाल चलन पर, हर हाव भाव पर विस्मय होता है। प्रेम मे विस्मय है ही है, पर मन मे विस्मय हो तो मन भर जाता है, मन शांत हो जाता है.... अपने आत्मा के सत्त्ता मे, आनंद की सत्त्ता मे हम स्थित होते है।
Shiv Sutra_3.2_ Udyamo Bhairava. The power that you give is also the same, the desire to do things is the same, not the desire to do it is the same power… In the same way, by becoming a witness, and by developing a rhythm, consciousness is developed. There is progress in both witness and rhythm. And there is action between witness and rhythm, there is also progress in it… It is three streams of life… witness, rhythm and enterprise. Do efforts and put 100 percent in whatever you do and get over the mess of principles. With whom you have to have a rhythm, you need awe, yearning with him. The mind interrupts. The mind wants new every day, but the heart races towards the old. Those who live in the mind find new things. Nobody ever took pride in new relationships. The heart races towards the old. Where love is awakened there remains awe. Astonishment is part of love. For example, in the house where a new child is born, the elders of the house are surprised at every move, every gesture. There is awe in love, but if there is awe in the mind, then the mind fills, the mind becomes calm… We are situated in the power of our soul, in the power of bliss.