Six Signs Of A Seeker
1. Acknowledging that one knows very little.
Many people think they know, without knowing or they get stuck in their limited knowledge. So they never learn. So the first thing is to acknowledge that one knows very little.
2. Willingness to know.
Many people acknowledge that they do not know, but they are not ready to learn.
3. Being non-judgmental and open-minded.
Some people would like to learn but their judgmental attitude and close-mindedness does not allow them to learn.
4. Total commitment and one-pointedness to the path one has chosen.
Some people are open-minded but lack commitment and one-pointedness. They keep shopping here and there and never progress.
5. Always putting truth and service before pleasure.
Sometimes even committed and one-pointed people stay away from the path in pursuit of momentary pleasures.
6. Patience and perseverance.
Some people are not swayed by pleasures and are committed and one-pointed, but if they lack patience and perseverance, they become restless and dejected.
साधक के छः लक्षण
१. यह मान लेना कि हम बहुत कम जानते है
कई व्यक्ति सोचते है कि वे बहुत कुछ जानते है - न जानते हुए भी। वे अपने सीमित ज्ञान में उलझे रहते है। वे कभी नहीं सीख पते। एक साधक सबसे पहले यह जानता है कि वह बहुत कम जानता है।
२. सीखने की चाह
कई व्यक्ति यह तो मानते है कि वे कुछ जानते पर वे सीखने को भी तैयार नहीं
३. अनिर्णयात्मक भाव और खुला-मन
कुछ व्यक्ति सीखना तो चाहते है पर उनके संकुचित और निर्णयात्मक विचार उन्हें रोकते है।
४. अपने पथ के प्रति सम्पूर्ण एकाग्र निष्ठां
कुछ व्यक्ति खुले मन के तो होते है , पर उनमें निष्ठां और एकाग्रता की कमी है। वे इधर-उधर भटकते रहते है और पथ पर कभी भी आगे नहीं बढ़ते।
५. सर्वदा सत्य और सेवा को सुख के पहले रखना
क्षणिक सुखो के पीछे भागने में एकाग्र और निष्ठावान व्यक्ति भी कभी- कभी पथ से भटक जाते है ।
६. धैर्य और प्रयत्नशीलता
कुछ व्यक्ति निष्ठावान और एकाग्रचित्त होते है , और क्षणिक सुखो के पीछे भी नहीं भागते , परन्तु यदि उनमें धैर्य और प्रयत्नशीलता का आभाव हो, तो वे अधीर , विचलित और निरुत्साहित हो जाते है।