Rishikesh
30 Mar 2001
India
STRENGTH AND SUBORDINATION
Many people do not want to work under someone else, be it in their profession, in any company or even voluntary service. The general notion is that when you work under someone, you lose your freedom, you have to be answerable.
So, many people opt for business, wanting to be their own boss. But, in business, you are accountable to so many people. If you cannot be accountable to even one person, how can you be accountable to many? This is the paradox. In fact, being in business binds you more than the boss!
Refusing to work under someone is a sign of weakness, not strength. A strong person would not feel uncomfortable working under anyone, because he knows his strength. It is the weak and poor in spirit who do not like to work under someone else, because they are unaware of their strength. They can be neither successful in business nor in any profession.
And the same is true even in the field of social service - often volunteers do not want to work under someone else. This is merely an exhibition of their weakness. With such an attitude, they achieve very little.
One who is timid and weak in spirit would be uncomfortable to work even under the Wise one; but one who knows his own strength can work effectively even under a fool!
Nityanand: But to work under a fool is frustrating!
SriSri: When you know your strength, with skill and intelligence, you can turn every disadvantage into an advantage. A fool can bring out the best of your communication skills! (laughter)
So watch out! If you feel uncomfortable working under someone, it clearly shows you need to strengthen yourself. Desiring freedom from circumstances, situations or people is no freedom at all. Knowing that nobody can take away your freedom Ö that is strength! And when you realize your strength is unshakable, you would not mind working under anybody.
🌻Jai Guru Dev🌻
Hindi translation
साप्ताहिक ज्ञानपत्र २९८
३० मार्च, २००१
ऋषिकेश, भारत
प्रबलता और आधीनता
कई लोग किसी और के आधीन काम करना नही चाहते, चाहे वह उनके व्यवसाय से सम्बंधित हो, कंपनी से हो या स्वेच्छिक सेवा से हो। एक साधारण धारणा है, की जब तुम किसी के नीचे काम करते हो तुम्हे जवाबदेह होना पड़ता है और तुम अपनी स्वतंत्रता खो देते हो।
इसीलिए कई लोग व्यापार करना पसंद करते है , जिससे वे स्वयं ही अपने मालिक हो। परंतु व्यापार में तुम्हे कई लोगो को उत्तर देना पड़ता है। यदि तुम एक व्यक्ति के प्रति उत्तरदायीनही हो सकते तो अनेक व्यक्तियों के प्रति उत्तरदायी कैसे हो सकते हो? यह विरोधाभास है।। वास्तव में तुम्हे और अधिक कर्तव्यबद्ध होना पड़ता है बनिस्पत की एक बांस के साथ।
किसी के नीचे काम करने से इनकार करना तुम्हारी कमजोरी की निशानी है न कि प्राबल्य की। एक प्रबल व्यक्ति किसी के भी नीचे काम करने में असहज महसूस नही करता, क्योकि वह अपनी सामर्थ्य को जनता है। वह एक कमजोर और निष्क्रिय व्यक्ति है, जो किसी और के नीचे काम करना पसंद नही करता क्योकि वे अपनी क्षमता को परहचानते ही नही है। वे न ही व्यापार में और न ही अन्य किसी व्यवसाय में सफल हो सकते है।
यही बात। सामाजिक सेवा के क्षेत्र के लिए सत्य है। प्रायः स्वयं सेवक किसी और के नीचे काम करना नही चाहते। यह केवल उनकी कमजोरी दर्शाती है। उस वृत्ति के कारण वे बहुत कम उपार्जित कर पाते है। वह व्यक्ति जो अंदर से डरपोक और कमजोर होता है उसका बुद्धिमान व्यक्ति के नीचे भी काम करने में असुविधा होती है, परंतु वह व्यक्ति जो अपनी सामर्थ्य को समझता है, वह एक मूर्ख व्यक्ति के नीचे भी प्रभावकारी तरीके से कार्य कर सकता है।
नित्यानंद- परंतु मूर्ख व्यक्ति के नीचे कार्य करने में व्याकुलता होती है।
श्री श्री- जब तुम अपने सामर्थ्य को जानते हो तब तुम बुद्धि और व्यक्ति से हर एक हानि को लाभ में परिवर्तित कर सकते हो। एक मूर्ख तुम्हारी वाक्चतुरता व सम्भाषण को निखार सकता है।(हंसी)
इसीलिए ध्यान दो। यदि तुम्हे किसी के नीचे काम करने में असुविधा महसूस होती है, इससे प्रतीत होता है, की तुम्हारे अंदर प्राबल्य की आवश्यकता है। वातावरण परिस्थिति और लोगो से मुक्ति की अपेक्षा करना, मुक्ति नही है। तुम्हारी स्वतंत्रता को तुमसे कोई नही ले सकता, यह जानना ही प्रबलता है। और जब तुम्हे अपने प्राबल्य की स्थिरता का अनुभव होता है, तब तुम्हे किसी के भी नीचे कार्य करने में कोई आपत्ति नही होती।
🌻जय गुरुदेव🌻