Bangalore Ashram
26 Oct 2000
India
LOVE IS THE SHADOW OF THE SELF
When you love something, you have a sense of belongingness with it. You can only love something, because it is belongs to you. If it is not yours, you cannot love it. Love is the shadow of the Self.
The bigger the Self, the bigger the shadow, and the bigger the love.
When the love is cast over the entire creation, then you are the Big Self. That is the Lordship.
When the Lordship dawns on the Self, there is perennial celebration.
Deepawali happens.
Today is Deepawali, the festival of lights. There are many stories associated with this day.
It was this day that the demon Narakasaura was killed. King Narakasura (Naraka means hell) had been granted a boon that he could be destroyed only by a woman. Lord Krishna's wife Satyabhama was the one to destroy him.
Why only Satyabhama could kill Naraka? Satya means truth and bhama means the beloved. Untruth or lack of love cannot conquer hell. It cannot be removed by aggression. Hell can only be erased by love and surrender. Non-aggression, love and surrender are the inherent qualities of a woman. Hence only Satyabhama, the true beloved could remove hell and bring the light back. And NarakasuraÒ³ last wish was that every house should celebrate his exit with lights to mark the end of darkness. This is Deepawali.
Also it was today that Lord Rama returned to Ayodhya, his Kingdom, after his victory over Ravana, the demon king. Ayodhya means that which cannot be destroyed, i.e. life. Ram means the Atma (the Self). When Self rules in life, then knowledge lights up. There is life everywhere. But when the spirit is awakened in life, deepawali happens.
🌸Jai Guru Dev🌸
साप्ताहिक ज्ञानपत्र २७६
२६ अकटुबर, २०००
बंगलौर आश्रम, भारत
प्रेम आत्मा की छाया है
जब तुम्हे किसी चीज से प्रेम होता है तुम्हे उसमे अपनत्व का बोध होता है। तुम किसी चीज से तभी प्रेम करते हो जब वह तुम्हारी हो। यदि वह तुम्हारी नही है तुम उससे प्रेम नही कर सकते। प्रेम आत्मा की छाया है।
आत्मा जितनी विशाल होती है, छाया उतनी ही विशाल होती है और प्रेम भी उतना ही विशाल होता है जब सृष्टि में चारो ओर तुम्हारा प्रेम फैलता है, तब तुम परमात्मा स्वरूप हो जाते हो। यही प्रभुत्व है।
जब आत्मा में प्रभुत्व का आविर्भाव होता है तब निरंतर उत्सव होते है। आज दीपावली है, प्रकाश का त्यौहार है। इस दिन से संबंधित कई कहानिया है।
इस दिन नरकासुर राक्षस मारा गया था। राजा नरकासुर- “नरक” का अर्थ है, “नर्क” इसे वरदान प्राप्त था कि कोई स्त्री ही उसका अंत कर सकती है। भगवान कृष्ण की पत्नी सत्यभामा ने उसका अंत किया।
केवल सत्यभामा ही क्यों नरक को मार सकती थी? सत्य का अर्थ है “सत्य” और भामा का अर्थ है “ प्रिय” । सत्य और प्रेम के अभाव से नरक को जीता नही जा सकता। इसका विनाश आक्रमण से नही हो सकता। नरक को केवल प्रेम और समर्पण से ही समाप्त कर सकते है। अहिंसा, प्रेम और समर्पण एक स्त्री के अंतर्निहित गुण है। एक सत्यभामा ही थी जो कि एक सच्चे प्रेम का स्वरूप थी, इसलिए वो नरक का विनाश करके प्रकाश का आविर्भाव कर सकती थी। नरकासुर की अंतिम इच्छा थी कि उसकी मृत्यु के पश्चात अंधकार की समाप्ति के उत्सव घर घर को प्रकाशित करके मनाया जाए। यही दीपावली है।
आज ही के दिन भगवान राम राक्षसों के राजा रावण पर विजय प्राप्त कर अपने राज्य अयोध्या वापस लौटे थे। अयोध्या का अर्थ है कि जिसका विनाश नही यानि कि जीवन। राम का अर्थ है आत्मा। जीवन पर जब आत्मा का राज्य होता है तब ज्ञान प्रकाशमान होता है। सब कुछ जीवंत हो उठता है। जीवन मे आत्मा की जागृति ही दीपावली है।
🌸जय गुरुदेव🌸