Shiv Sutra_1.6
कण कण में जानने की शक्ति है। जीवन का लक्षण भी जानने की शक्ति है। रेत के कण और चींटी में भी जानने की शक्ति है। रेत के कण में भी है, पर बहोत कम है, जैसे कि है ही नहीं। पेडों मे, पौधों मे भावना है मगर इतना स्पष्ट दिखता नही है...जितना पशु, पक्षी मे है। वही भाव पेड़ मे भी है... लेकिन उसे पशू पक्षी जितना अभिव्यक्त नही कर सकता। आदमी को पत्थर जैसा बनाता है....ज्ञान। जो व्यक्ति समझता है मैं सबकुछ जान लिया है वह और जानने के लिए तैयार नही रहता। जिसके बारे में आप जानते हो उसके बारे मे आप जड़ हो जाते हो और जिसके बारे मे नही जानते हो उसके बारे मे सतर्क रहते हो। जागरूकता या जानने की शक्ति ही जीवन।का लक्षण है। मैं जान लिया हूँ ऐसा जान लेना जड़ता का कारण बन जाता है। परमात्मा जानने की वस्तु नही है....परमात्मा जान ही है, ज्ञानस्वरूप है। परमात्मा गेय नहीं है, परमात्मा ज्ञान है। जानने की शक्ति परमात्मा है। मैंने जान लिया कहने से जानने की शक्ति समाप्त हो जाती है, उसका अनंत विस्तार नही हुवा है। इसलिये कहा है.... सत्यं ज्ञानमनन्तं ब्रह्म। जिसका कोई ओर छोर नही है ऐसा ज्ञान का विस्तार हो, जानने की शक्ति हो....मगर जान लिया इसका गर्व न हो ...तब चैतन्य अभिव्यक्त होता है... चैतन्यमात्मा । उस चैत्यन आत्मा का लक्षण है.... स्वात्मानंद प्रकाश। Shiva Sutra 1.7_ is the power of knowing in the gorge. It is also the power to know the signs of life. Sand particles and ants also have the power to know. The particle of sand is also there, but it is very less, like it is not there. In trees, plants have emotion but do not look so clear… as in animals, birds. The same sentiment is also in the tree ... but cannot express it as animal bird. Makes a man like a stone .... Knowledge. The person who understands that I know everything is not ready to learn more. You get rooted about what you know and you are cautious about what you do not know. Awareness or the power to know is the symptom of life. I know that knowing it becomes a cause of inertia. God is not the object of knowing .... God is life, it is knowledge. God is not gay, God is knowledge. The power to know is divine. I have said that the power of knowing is lost by saying, its infinite expansion has not been done. That is why it is said .... Satyam Jnanamantam Brahm. There is no end to it, there should be an expansion of knowledge, the power to know… but do not be proud of it… Then Chaitanya expresses… Chaitanyatma. The symbol of that Chaityan soul is .... Swatmanand Prakash. 🙌